खिलावन चंद्राकर

                                         प्रदेश के कमलनाथ सरकार ने शुद्ध के लिए युद्ध के बाद ऑपरेशन माफिया भी शुरू कर दिया है। प्रदेश के 4 बड़े शहरों इंदौर भोपाल ग्वालियर और जबलपुर में शुरू हुई इस कार्रवाई के बाद असमंजस की स्थिति भी बनती जा रही है और दलीय  संतुलन बनाए रखने का प्रयास भी किया जा रहा है। प्रशासन के सामने असमंजस की स्थिति वहां बन रही है जहां सत्ता पक्ष के करीबी लोगों के द्वारा संरक्षित माफिया पर कार्रवाई की बात है। वही संतुलन बनाने के मद्देनजर जबलपुर में जहां एक भाजपा नेता के होटल बार एवं रेस्टोरेंट पर ताबड़तोड़ कार्रवाई की गई और जब भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा इसे दुर्भावना से प्रेरित होकर की गई कार्रवाई करार दिए जाने लगा तो प्रशासन ने बिना देरी किए कांग्रेस नेता के अवैध कब्जे एवं जुए के फड़ पर भी धावा बोल दिया। वैसे सरकार की मंशा को देखते हुए एक बात तो स्पष्ट है कि आने वाले दिनों में कई बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया जाएगा। इसका संकेत स्वयं गृह मंत्री ने यह कह कर दे दिया है कि पूरे प्रदेश में ऐसे माफिया और रंगदारो  को चिन्हित कर लिया गया है जिनके द्वारा सरकारी जमीन पर अवैध कब्जे, अवैध उत्खनन, रंगदारी वसूली, भू एवं शराब माफिया के तौर पर काम किया जा रहा है। जाहिर है ऐसे संगठित अपराधियों को पहले पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के नेताओं द्वारा संरक्षण दिया जा रहा था अब इनमें से कुछ लोगों ने नई सरकार में भी अपना काम बदस्तूर जारी रखा है तो जाहिर है कि अब उन्हें नई सरकार में भी सत्ता दल के नेताओं का संरक्षण अवश्य प्राप्त हो रहा होगा। खैर देर आए दुरुस्त आए सरकार ने कम से कम ऐसे तत्वों की पहचान कर कार्यवाही तो शुरू की है।भले ही इसकी शुरुआत हनी ट्रैप के मामले को पूरी दमदारी और प्रमाणिक तथ्यों के साथ के साथ उजागर करने वाले जीतू सोनी से की गई। यह बात अलग है कि जीतू सोनी स्वयं एक माफिया के तौर पर काम कर रहे थे और अपने सभी काले पीले काम को पूर्ववर्ती भाजपा शासन काल के दौरान पल्लवित और पोषित करते रहे। सरकार की इस कार्रवाई से कुछ बड़े प्रशासनिक अधिकारियों के पेट में दर्द होना स्वभाविक है क्योंकि ऐसा माना जा रहा है कि प्रदेश में भू माफिया के तौर पर कार्य कर रहे कई रसूख दारो  का प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से वह मददगार रहे हैं या उनकी काली कमाई का एक बड़ा हिस्सा इस तरह के कार्यों में लगा हुआ भी है।इससे पहले शुद्ध के लिए युद्ध खाद्य एवं औषधि प्रशासन द्वारा खाद्य पदार्थों में मिलावट को लेकर और कृषि विभाग द्वारा रासायनिक खाद एवं बीज की शुद्धता को लेकर शुरू की गई थी जो अभी भी निरंतर जारी है और इक्का-दुक्का रोज कार्यवाही हो रही है। जबकि इस दिशा में व्यापक तौर पर बिना भेदभाव के कार्रवाई की आवश्यकता आज भी महसूस की जा रही है।

भाजपा अध्यक्ष और समन्वय समिति

           समझा जाता है कि अन्य राजनीतिक दलों की अपेक्षा भाजपा कहीं ज्यादा संगठित अनुशासित और पार्टी के संविधान का पालन करने वाले दल हैं किंतु कई मामले में इनके इस दावे की पोल खुल जाती है और जब मामले सामने आता है तो पार्टी नेताओं की किरकिरी होना स्वाभाविक है। भाजपा के संविधान की धारा अठाईस के मुताबिक पार्टी के संगठन और विधाई कार्यों में सामंजस्य बनाए रखने के लिए 7 सदस्य समन्वय समिति पार्टी अध्यक्ष के नेतृत्व में मनाई जाती है जिसमें कार्यसमिति के तीन और विधानसभा के तीन सदस्यों को स्थान दिया जाता है। यह जानकर आश्चर्य हुआ कि नंदकुमार चौहान के तीन और राकेश सिंह के ढाई साल के कार्यकाल में उन्होंने समन्वय समिति का गठन ही नहीं किया बल्कि 2013 में तात्कालिक अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर के कार्यकाल में बनाई गई समन्वय समिति कार्य करती रही। इस बीच भाजपा के हाथ से प्रदेश की सत्ता भी चली गई किंतु इस पर ध्यान किसी भी नेता का नहीं गया। वर्तमान में जो समन्वय समिति काम कर रही है उसके अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर हैं और इसमें सदस्य के तौर पर अरविंद मेनन शिवराज सिंह चौहान सुंदरलाल पटवा कैलाश जोशी जगन्नाथ सिंह जयंत मलैया और कैलाश विजयवर्गी शामिल है। यह बताना जरूरी है कि इन सदस्यों में से पटवा ,जोशी और जगन्नाथ सिंह का निधन हो चुका है। जबकि नरेंद्र सिंह तोमर प्रदेश अध्यक्ष और अरविंद मेनन अब संगठन महामंत्री नहीं रहे। इसी तरह जयंत मलैया और कैलाश विजयवर्गीय विधानसभा के सदस्य ही नहीं है। इन सदस्यों में एकमात्र शिवराज सिंह चौहान ही इनटाइटल है जबकि विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव भी पार्टी के विधान के तहत सदस्य बनेंगे।  

Source : Agency